<br />#acharyaprashant<br /><br />वीडियो जानकारी: 17.01.24, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br />आचार्य जी ताओ ते चिंग के तीसरे अध्याय के दूसरे भाग पर आगे बात कर रहे हैं, जिसका हिन्दी व अंग्रेज़ी अनुवाद नीचे दिया गया है -<br /><br />ताओ ते चिंग - अध्याय 3, भाग 2 <br /><br />ऋषि के नेतृत्व में लोगों के मन खाली हो जाते हैं। <br />ऋषि उनकी महत्वाकांक्षा को कम करता है, और संकल्प को मज़बूत बनाता है। <br />ऋषि लोगों की वह भूलने में मदद करता है जो वे जानते हैं, और जिसकी वे इच्छा करते हैं। <br />ऋषि उनमें संशय पैदा करता है जो सोचते हैं कि वे जानते हैं। <br />'कुछ नहीं' से करने से सबकुछ होने लग जाता है। <br /><br />Under the leadership of the Sage, people's minds become empty. <br />The Sage reduces their ambition, and strengthens their resolve. <br />The Sage helps people forget what they know, and what they desire. <br />The sage creates doubt in those who think they know. By doing from 'nothing', everything starts happening. <br />➖➖➖➖➖➖➖➖<br /><br />~ संकल्प क्या है?<br />~ प्रेम, तितिक्षा, साहस,और धीरज की कमी ही हमें हमारी सही मंजिल से दूर कर देती है।<br />~ एम्बिशन (ambition) उनके पास होता है जिनके पास संकल्प नहीं होता।<br />~ महत्वाकांक्षा का अर्थ ही है संकल्प के अभाव में उठे हुए तमाम तरह के क्षुद्र विकल्प।<br />~ संकल्प, मन के वास्तविक प्रेम की ओर इशारा करता है। महत्वाकांक्षा और संकल्प का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है।<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~